भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
भारत विश्व के उन देशों में से एक है जहां जनसंख्या की एक बड़ी संख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। स्वतंत्रता के बाद से गरीबी उन्मूलन भारत की प्राथमिक नीतिगत चुनौती रही है। इसके लिए समय-समय पर विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू किया गया। इन प्रयासों का उद्देश्य समाज के गरीब और वंचित वर्गों के जीवन स्तर को सुधारना, रोजगार के अवसर पैदा करना, और सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करना है।
इस लेख में हम भारत में गरीबी उन्मूलन के प्रयासों, उनकी सफलता, असफलता, और आगे की दिशा पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारत में गरीबी की परिभाषा और स्थिति
भारत में गरीबी को आम तौर पर उन व्यक्तियों की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो अपनी बुनियादी जरूरतें – जैसे भोजन, कपड़ा और आश्रय – पूरी करने में असमर्थ होते हैं।
गरीबी की माप
- गरीबी रेखा (Poverty Line):
गरीबी का माप भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं पर आधारित है।- ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी का उपभोग गरीबी रेखा का निर्धारण करता है।
- नीति आयोग का अनुमान:
नीति आयोग के अनुसार, 2011-12 में भारत की लगभग 21.9% आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी।
गरीबी के कारण
- आर्थिक कारण:
- बेरोजगारी और कम आय।
- कृषि पर अत्यधिक निर्भरता।
- सामाजिक कारण:
- शिक्षा और कौशल की कमी।
- जाति और लैंगिक भेदभाव।
- राजनीतिक और संरचनात्मक कारण:
- भ्रष्टाचार।
- विकास योजनाओं का असमान क्रियान्वयन।
भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए प्रमुख कार्यक्रम
भारत सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए समय-समय पर कई योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं को मुख्यतः तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- रोजगार आधारित कार्यक्रम:
गरीबी को कम करने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना प्रमुख प्राथमिकता रही है।
- i) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS):
- वर्ष 2005 में शुरू की गई।
- ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करना।
- इसका उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास और मजदूरी के माध्यम से आय में वृद्धि।
- ii) स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY):
- 1999 में शुरू की गई।
- गरीब परिवारों को स्व-रोजगार के माध्यम से आय का स्रोत उपलब्ध कराना।
- इसका उद्देश्य गरीबों को संगठित समूहों में संगठित कर स्वावलंबी बनाना था।
iii) प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY):
- 2015 में शुरू की गई।
- युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक कौशल प्रदान करना।
- सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाएं:
- i) राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (NHPM):
- आयुष्मान भारत योजना के तहत शुरू किया गया।
- गरीबों को पांच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करना।
- ii) प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY):
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई।
- गरीबों के लिए बैंक खाते खोलना और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना।
iii) सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS):
- सस्ते दामों पर राशन उपलब्ध कराना।
- इसका उद्देश्य गरीबों को खाद्य सुरक्षा देना है।
- iv) उज्ज्वला योजना:
- गरीब परिवारों को रसोई गैस (LPG) कनेक्शन प्रदान करना।
- ग्रामीण विकास आधारित योजनाएं:
- i) इंदिरा आवास योजना (IAY):
- अब प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY) के नाम से जानी जाती है।
- गरीब परिवारों के लिए पक्के मकान उपलब्ध कराना।
- ii) ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY):
- ग्रामीण क्षेत्रों को सड़कों के माध्यम से शहरी क्षेत्रों से जोड़ना।
- इसका उद्देश्य है ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना।
iii) दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY):
- ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास और रोजगार के अवसर प्रदान करना।
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों की सफलता
- खाद्य सुरक्षा में सुधार:
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मध्याह्न भोजन योजना ने गरीब परिवारों की खाद्य सुरक्षा में सुधार किया।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) ने 67% आबादी को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराया।
- रोजगार के अवसर:
- मनरेगा ने ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम किया और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत लाखों युवाओं को कौशल प्रशिक्षण मिला।
- आवास और बुनियादी ढांचा:
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों परिवारों को पक्के मकान मिले।
- ग्रामीण सड़क योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने में मदद की।
- स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार:
- आयुष्मान भारत योजना ने गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाया।
- शिक्षा के अधिकार (RTE) और सर्व शिक्षा अभियान ने शिक्षा तक पहुंच में वृद्धि की।
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों की चुनौतियां
- कार्यक्रमों का सीमित कवरेज:
- कई योजनाओं का लाभ गरीब वर्ग तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाता।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता।
- भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन:
- सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार।
- संसाधनों का दुरुपयोग और लाभार्थियों की पहचान में गड़बड़ी।
- आर्थिक असमानता:
- योजनाओं के बावजूद अमीर और गरीब के बीच खाई कम नहीं हो पाई।
- बड़े पैमाने पर सामाजिक असमानता।
- अक्षमता और प्रशिक्षण की कमी:
- कौशल विकास योजनाओं में गुणवत्ता की कमी।
- तकनीकी ज्ञान का अभाव।
भविष्य की दिशा
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का पालन:
- गरीबी उन्मूलन के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (2030) का पालन करना।
- सामाजिक और आर्थिक समावेशन को प्राथमिकता देना।
- तकनीकी समावेशन:
- डिजिटल इंडिया अभियान का उपयोग कर गरीबों को सरकारी योजनाओं से जोड़ना।
- पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आधार और डिजिटल भुगतान का उपयोग।
- क्षेत्रीय असमानता को समाप्त करना:
- पिछड़े क्षेत्रों में विशेष योजनाओं का क्रियान्वयन।
- पूर्वोत्तर और जनजातीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना।
- शिक्षा और कौशल विकास पर जोर:
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना।
- तकनीकी और व्यावसायिक कौशल को बढ़ावा देना।
- सामाजिक जागरूकता:
- गरीबों को उनके अधिकारों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना।
- नागरिक संगठनों और समुदायों की भागीदारी बढ़ाना।
निष्कर्ष
भारत में गरीबी उन्मूलन एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न सरकारों और संस्थाओं के प्रयास शामिल हैं। इन प्रयासों ने खाद्य सुरक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
गरीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए समग्र दृष्टिकोण और समावेशी विकास की आवश्यकता है। यदि शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में सतत प्रयास किए जाएं, तो भारत गरीबी उन्मूलन के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होगा।